Sunday, July 10, 2016

दिल

ज़रा दिल के दरवाजा को तुम  खोल के देखो
वहाँ हूँ की नहीं हूँ मैं थोडा नजर रखो ।
ये जमाना है मुश्किलों की कोई न रहा  है किस का
मैं कैसे समझू तुम्हारा हूँ अब नहीं हूँ था मैं जिस का
ओ मेरे प्यारे न्यारे  दिल को तुम  संभलके रखो ।।
 ज़रा दिल के दरवाजा को तुम खोल के देखो...........
दिल के ऊपर हाथ थमाकर ढूंडता हूँ कंहा तुम 
कभी कभी मेरे दिल के अन्दर हो ही जाती हो गुम  
वो मेरी प्यारी यारी अव तुम जिंदगी को जीना सीखो ।।
 ज़रा दिल के दरवाजा को तुम खोल के देखो...........

Wednesday, March 16, 2016

ନିଦୁଆ ସକାଳ

ଉଷା କୁ ସନ୍ମୁଖେ ରଖି ସକାଳ ସୁରଜ 
ଆସୁଛନ୍ତି ହସି ହସି ହୋଇ ସଜବାଜ 
ପକ୍ଷୀମାନେ ନିଡ ତେଜି ପକ୍ଷ ଝାଡୀ କରନ୍ତି କାକଳି 
           ଏବେ କିନ୍ତୁ ଶୋଇଛି ମଣିଷ 
    କାମନାର ଜତୁଘରେ ଜୀବନକୁ ଜାଳି ଜାଳି    
ନାହିଁ ନିଶା ଅଛି ନଶା ଅବଶ ଶରୀରେ 
ଶୟନରେ ମନ ଏବେ କୃତ୍ରିମ ରାତ୍ରିରେ  
ଗବାକ୍ଷ ଦେଇ ବିପକ୍ଷୁ  ଦିବାଲୋକ କରୁଛି ପ୍ରବେଶ 
              ଅନ୍ତବସ୍ତ୍ରେ ନେତ୍ର ବୁଜି 
      ଶୋଇଛି ପୁରୁଷ କେତେ ଦୁରରେ ବିନାଶ   
ସକାଳ ମଉଳି ଗଲା ଝାଉଁଳେ କୁମୁଦ 
ଉଜୁଡି ଗଲେଣି ପ୍ରାତଃ ପ୍ରକୃତି ସମ୍ପଦ
ଭାଂଗିନାହିଁ ନିଦ ଏବେ ଖୋଲିନାହିଁ ନିଶାଚର ନେତ୍ର 
    ହେ ଇଶ୍ବର ! ଦେଖ କେଡେ ବିଚିତ୍ର ଚରିତ୍ର  
      ଏସବୁତ ବର୍ତମାନ ସଭ୍ୟ ସମାଜର ଚିତ୍ର    

Sunday, February 28, 2016

एकाक्षरश्लोकाः

एकाक्षर श्लोकाः
ननोनन्नुनो नुन्नोनो  नाना  नानाननाननु
नुन्नोऽनुन्नोननुन्नेनो नाने नानुन्ननुन्ननुत् -१
दाददो दुद् ददुद् दादी  दाददो दुददीददोः
दुद्दादं  दददे  दुद्दे  दादाददददोऽददः  -२
यायायायायायायायायायायायायायायाया

यायायायायायायायायायायायायायायाया-३