Saturday, February 6, 2016

चित्रकाव्य

      महाकवि भारविकृत किरातार्जुनियमहाकाव्यस्य सर्वतोभद्र चित्रश्लोकः -
दे
वा
का
नि
नि
का
वा
दे
वा
हि
का
स्व
स्व
का
हि
वा
का
का
रे
रे
का
का
नि
स्व
व्य
व्य
स्व
नि
नि
स्व
व्य
व्य
स्व
नि
का
का
रे
रे
का
का
वा
हि
का
स्व
स्व
का
हि
वा
दे
वा
का
नि
नि
का
वा
दे
देवाकानिनिकावादे वाहिकास्वस्वकाहिवा

काकारेभभरेकाका निस्वभव्य व्यभस्वनि

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